गायत्री गीता – 02/03/2019

? 02/03/2019_Saturday_ प्रज्ञाकुंज सासाराम_ गायत्री गीता_पंचकोशी साधना प्रशिक्षक बाबूजी श्री लाल बिहारी सिंह एवं आल ग्लोबल पार्टिसिपेंट्स। ?

? ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो नः प्रचोदयात् ?
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? बाबूजी:-

? सारी उपनिषद् कामधेनु गौ हैं और श्रीकृष्ण उसे दुहने वाले हैं। वेदों का सार उपनिषद् हैं और उपनिषद् का सार गीता हैं। चिंतन क्रम में उतरे। कथनी और करनी में अंतर ना हो।

? ॐ – किसी भी कार्य को करने से पहले ॐ का स्मरण करें। योगस्थ कुरूकर्मणि। यह ईश्वर का अघोषित नाम है। यही सृष्टि को चलायमान रखा है। जीवन के किसी भी तरह की कलिमा समाप्त करता है। यह विश्व ब्रह्माण्ड की आत्मा है। सच्चिदानंद है।

? भूः – प्राण स्वरूप। एकोऽहम् बहुस्याम। सभी जगह यही प्राण है। ईश्वर सर्वव्यापक हैं। अज्ञानता स्वरूप भेद दृष्टि है और यही भेद दृष्टि बारंबार जन्म लेने का कारण बनती है। आत्मवतसर्वभूतेषु।

? भुवः – दुःखनाशक। अनासक्त कर्मयोग। सभी कार्य यज्ञ स्वरूप हों। जीवन यज्ञमय हों।

? स्वः – सुख स्वरूप। अखंडानंदबोधाय। चंचल मन को शांत रखा जाये। मनोवेग का नियंत्रण। मैत्री भाव। साक्षी भाव।

? तत् – निर्भयता। जो जीवन मरण के रहस्य को जानता है वही बुद्धिमान है। वह भय और आसक्ति रहित जीवन जीता है। आत्मा शाश्वत है।

? सवितुः – तेजस्विता। सूर्य के समान बलवान हों। सूर्य के सातों तेज को धारण करें।

? वरेण्यं – श्रेष्ठता को बढ़ाना। श्रेष्ठ गुणों का धारण करें। सत्संग।

? डाॅक्टर रीता दीदी:-
? गायत्री महामंत्र मे जीवन के सभी सुत्र समाये हैं। दीदी ने ऊँ (ओंकार) की साधना तीनों शरीर के माध्यम से किया। और सुषुम्ना मे ओंकार शब्द को आत्मसात किया एवं संसार के उद्विग्नता से दूर रहीं और भुवः का साक्षात्कार किया एवं आत्मवत् सर्वभूतेषु को साधा। आत्म चेतना को समष्टि चेतना से जोड़ा।

दीदी ने चेतनात्मक स्तर पर वृहद् साधना की। शरीर का उतना ध्यान नही रखा गया। पंचकोशी योग व्यायाम से अब दीदी ऊर्जावान हैं और वृहद् स्तर पर रचनात्मक कार्य कर रही हैं। सोशल एक्टिविटीज, युनिवर्सिटी लेवल पर कैम्पेन कर रही हैं। गायत्री महामंत्र को आत्मसात् कर इन्होंने अपना जीवन प्रदीप्त बनाया।

? ॐ शांति शांति शांति ?

संकलक – विष्णु आनन्द जी

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